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कांग्रेस नेता अनिल द्विवेदी को लेडी डीएसपी ने थमाया 10 लाख का नोटिस,झूठी खबर के मामले में

छत्तीसगढ़ सरकार में कैबिनेट मंत्री ओपी चौधरी के नाम पर झूठी खबर फैलाने व खबर को लेकर कोरबा जिले में पदस्थ रहे तत्कालिन महिला डीएसपी सुश्री लितेश सिंह का नाम उल्लेख किये जाने के खिलाफ उक्त समाचार पोर्टल के संपादक एवं संवाददाता कांग्रेस नेता अनिल द्विवेदी के खिलाफ 10 लाख का मानहानि का नोटिस भेजा गया है। उक्त नोटिस में डीएसपी पर व्यंग्यात्मक और आपत्तिजनक शब्दों का प्रयोग कर व्यक्तिगत रूप से अपमानित करने के प्रयास का विरोध करते हुए अपने विधिक अधिकारों का प्रयोग कर अधिवक्ता के माध्यम से नोटिस भेजा है जिसमें प्रसारित खबर को तुरंत हटाने और कृत्य पर माफी मांगते हुए जवाब देने के लिए 2 दिन का समय दिया गया। हालांकि नोटिस पर उक्त समाचार हटाया नहीं गया है जिससे निर्धारित समय सीमा में आवश्यक वैधानिक कार्यवाई करने की बात डीएसपी ने कही है।

दरअसल कोरबा जिले के दर्री निवासी कांग्रेस नेता अनिल द्विवेदी एवं न्यूज पोर्टल के संपादक द्वारा अपने पोर्टल पर प्रसारित खबर में लिखा गया था कि मंत्री ओपी के खिलाफ स्नढ्ढक्र कराने वाली मैडम की गजब माया। इस गलत खबर के खिलाफ डीएसपी सुश्री लितेश सिंह(पूर्व दर्री सीएसपी) ने कड़ी आपत्ति जताते हुए कहा कि लोक सेवक पर राजनीतिक पक्षपात का टैग लगाना और राजनीतिक घटनाओं पर हुई एफआईआर में सनसनी फैलाने के लिये झूठ में मेरा नाम जोडऩा आपत्तिजनक है। व्यंग्यात्मक और आपत्तिजनक शब्दों का प्रयोग कर व्यक्तिगत रूप से अपमानित करने के प्रयास का विरोध करते हुए अपने विधिक अधिकारों का प्रयोग किया है। डीएसपी लितेश सिंह ने स्पष्ट किया कि तत्कालीन समय में हुई एफआईआर की कार्यवाही में कहीं भी मेरा नाम ही नहीं है, इसके साथ जिन्होंने भी एफआईआर की कार्यवाही की, वो लोग भी अपने कर्तव्यों का निर्वहन कर रहे थे, ऐसे में लोक सेवकों की सेवाओं का राजनीतिकरण और राजनेताओं के नाम पर झूठी सनसनी फैलाने की हरकतें अस्वीकार्य है।


इस मामले में हाईकोर्ट के अधिवक्ता खुलेश साहू का कहना है कि अनिल द्विवेदी और उनके साथी पोर्टल्स ने आईपीसी 499 और डिजिटल मीडिया एथिक्स कोड 2021 के नियमों का स्पष्ट उल्लंघन किया है, जिस पर कार्यवाही करते हुए नोटिस दिया गया है। यह खबर झूठी और दुष्प्रचार करने वाली है जो कि बीजेपी और ओ.पी. चौधरी के समर्थकों को मेरी क्लाइंट के खिलाफ भडक़ाने तथा उकसाने का प्रयास करती हैं तथा एक लोकसेवक पर राजनीतिक पक्षपात का, बिना किसी आधार के आरोप लगा कर उनकी राज्य सरकार की सेवाओं को प्रभावित करती हैं। यह उनके व्यक्तिगत और पेशेवर जीवन पर खतरा पैदा करने के गलत नीयत से किये गए प्रयास हैं। इस पूरे मामले में नोटिस भेज दिया गया है जिसमें खबर को तुरंत हटाने और कृत्य पर माफी मांगते हुए जवाब देने के लिए 2 दिन का समय दिया गया लेकिन ऐसा नहीं हुआ है। जवाब के आधार पर आगे की कार्यवाही की तैयारी की जा रही है।

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